Munawar Meri Aankhon Ko Lyrics:-आज हम आपको मुनव्वर मेरी आँखों को नात शरीफ की लिरिक्स बातएंगे जो हज़रत ओवैश राजा क़ादरी ने अपनी खूबसूरत आवाज़ मैं पढ़ी है
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
जहा बानि अता करदे भरी जन्नत हिबा करदे
नबी मुख्तार-ए-कुल है जिसे जो चाहे अता करदे !
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
फ़ज़ा मैं उड़ने वाले यूह न इतराये , निंदा करदे
वो जब चाहे जिसे चाहे उसे परमाँ रवाँ करदे
नबी मुख्तार-ए-कुल है जिसे जो चाहे अता करदे !
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
जहा मैं उनकी चलती है ,वो दम मैं क्या से क्या करदे !
जम्मी को आसमा करदे, सुरईया को सरा करदे
नबी मुख्तार-ए-कुल है जिसे जो चाहे अता करदे !
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
नबी से जो बेगाना उसे दिल से जुदा करदे
इधर मदर तेरा जान उनपर फ़िदा करदे !
नबी मुख्तार-ए-कुल है जिसे जो चाहे अता करदे !
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
तम्मना-ए-दिल-ए अशरफ बस इतनी है
सरे कोहसर जब आप जाम-ए-कोशर दे लबे !
अक़दस लगा करा कर दे !
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
मुझे क्या फ़िक्र हो अख्तर ! मेरे या वर है वो या वर
बालाओ को मेरी जो खुद गिररतारे बला करदे
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे
शम्सुद्दुहा करदे ग़मो की धुप्प मैं
वो साया-ए ज़ुल्फ़े धुता करदे
नात-ख्वां:-
ओवैश राजा क़ादरी
Roman (Eng) :
Munawwar Meri Aankhon Ko Lyrics:
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
Jaha bani ata karde, bhari jannat hiba karde
Nabi mukhtaar-e-kul hai jise jo chahe ata karde!
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
Faza mein udne wale yu hi na itraaye, ninda karde
Wo jab chahe jise chahe usse parmaan rawa karde
Nabi mukhtaar-e-kul hai jise jo chahe ata karde!
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
Jaha main unki chalti hai, wo dum mein kya se kya karde!
Jammi ko aasmaan karde, Suraiyya ko sara karde
Nabi mukhtaar-e-kul hai jise jo chahe ata karde!
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
Nabi se jo begana use dil se juda karde
Idhar madar tera jaan unpar fida karde!
Nabi mukhtaar-e-kul hai jise jo chahe ata karde!
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
Tamanna-e-dil-e Ashraf bas itni hai,
Sare kohsar jab aap jaam-e-kosar de labe!
Aqdas laga kara kar de!
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
Mujhe kya fikr ho Akhtar! Mere yaar hai wo yaar,
Balaon ko meri jo khud girratare bala karde
Munawwar meri aankhon ko mere,
Shamsudduha karde gham ki dhoop mein,
Wo saaya-e zulfe dhuta karde
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