ना ऐसा गुम्बद न ऐसा रोज़ा
ना सेहर ऐसा जनाब होगा
ना सेहर ऐसा जनाब होगा
जवाब होतो हर एक सेहर का
मदीना तो ला-जवाब होगा
और जो जुल्फ बिखरे तो रात होगी
जो चेहरा निकले तो दिन चढ़ेगा
पसीना उनका गिरेगा जिस पर,
वही तो जर्रा गुलाब होगा !
बरोजे मेहसर फरिस्ते मुझको पकड़ के पूछेंगे तो कहुगा वो,
देखो आते गौसे आज़म उन्ही ही आगे हिसाब होगा !
येह आती जाती हुकमते है येह आती जाती रहेगी लेकिन मगर,
वो ख्वाजा रहेगा राजा उसी का राजा ख़िताब होगा !
और सवाल जब भी नबी के दुश्मन करेंगे सुननि के आलिमो से तो,
नजदियो का और वहाबियो का बरेली वाला जवाब होगा !
वो पर्दा करने वाली बरेजों मेहसर जब आएगी तो,
निदा येह होगी जुकाउ नज़रे येह फातिमा का हिजाब होगा !
हुसैन वो जिसको बचपने मैं सुनाया क़ुरआन फातिमा ने,
वो बादेतर बुलन्द हो कर खुदा की पड़ता किताब होगा!
ये आती जाती हुकूमते है ये आती जाती रहेगी,
मगर वो ख़्वाजा रहेगा राजा उसी का राजा खिताब होगा !
नात-ख़्वाँ:-
सैफ रज़ा कानपुरी
Roman (Eng) :
Na aisa gumbad na aisa roza
Na sehar aisa janab hoga
Jawab hoto har ek sehar ka
Madinah to la-jawab hoga
Aur jo zulf bikhere to raat hogi
Jo chehra nikle to din chadhega
Pasina unka girega jis par,
Wahi to zarra gulab hoga!
Baroje mehshar farishte mujhko pakad ke poochenge to kahunga wo,
Dekho aate Ghouse Azam unhi hi aage hisaab hoga!
Yeh aati jaati hukumatein hai yeh aati jaati rahegi lekin magar,
Wo Khwaja rahega raja usi ka raja khitaab hoga!
Aur sawal jab bhi Nabi ke dushman karenge sunani ke alimo se to,
Najdiyo ka aur Wahabiyo ka Barelvi wala jawab hoga!
Wo parda karne wali barjein mehshar jab aayegi to,
Nida yeh hogi jukaao nazrein yeh Fatima ka hijaab hoga!
Husain wo jisko bachpan mein sunaya Quran Fatima ne,
Wo badtar buland ho kar Khuda ki padta kitaab hoga!
Ye aati jaati hukumat hai ye aati jaati rahegi,
Magar wo Khwaja rahega raja usi ka raja khitaab hoga!
Naat-khwan:
Saif Raza Kanpuri
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