मेरे आक़ा मदीने बुला लीजिए
सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
तैबा के जाने वाले, जाकर बड़े अदब से
मेरा भी क़िस्सा-ए-ग़म कहना शाह-ए-अरब से
मेरा भी क़िस्सा-ए-ग़म कहना शाह-ए-अरब से
कहना के! शाह ए आलम, एक रंज ओ ग़म का मारा
दोनों जहां में जिसका हैं आप ही सहारा
हालात-ए-पुर अलम से इस दम गुज़र रहा है
और कांपते लबों से फ़रियाद कर रहा है !
दोनों जहां में जिसका हैं आप ही सहारा
हालात-ए-पुर अलम से इस दम गुज़र रहा है
और कांपते लबों से फ़रियाद कर रहा है !
पाए गुनाह अपना है दोश पर उठाए
कोई नहीं है ऐसा जो पूछने को आए
कोई नहीं है ऐसा जो पूछने को आए
भूला हुआ मुसाफ़िर मन्ज़िल को ढूंढता है
तारीकियों में माह-ए-कामिल को ढूंढता है
सीने में है अंधेरा दिल है शियाह खाना
ये है मेरी कहानी सरकार को सुनाना
तारीकियों में माह-ए-कामिल को ढूंढता है
सीने में है अंधेरा दिल है शियाह खाना
ये है मेरी कहानी सरकार को सुनाना
कहना मेरे नबी से महरूम हूं खुशी से
कहना मेरे नबी से महरूम हूं खुशी से
कहना मेरे नबी से महरूम हूं खुशी से
सरवर क़ब्र ए ग़म है, अश्कों से आंख नम है
उम्मत के रहनुमा हो , कुछ अर्ज़-ए-हाल सुन लो
फ़रियाद कर रहा हूं मैं, दिल फ़िगार कब से
मेरा भी क़िस्सा-ए-ग़म केहना शाहे अरब से
हुज़ूर ऐसा कोई इन्तिज़ाम हो जाए
सलाम के लिए हाज़िर ग़ुलाम हो जाइ !
सलाम के लिए हाज़िर ग़ुलाम हो जाइ !
सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
मेरा दिल तड़प रहा है मेरा जल रहा है सीना
के दवा वहीं मिलेगी मुझे ले चलो मदीना !
के दवा वहीं मिलेगी मुझे ले चलो मदीना !
नहीं माल ओ ज़र तो क्या है मैं गरीब हूं तू क्या है
तेरे इश्क़ मुझको ले चल तू ही जानिबे मदीना !
तेरे इश्क़ मुझको ले चल तू ही जानिबे मदीना !
आक़ा न टूट जाए ये दिल का आबगीना
अब के बरस भी मौला रेह जाऊं मैं कहीं ना
अब के बरस भी मौला रेह जाऊं मैं कहीं ना
दिल रो रहा है जिनका आंसू छलक रहे हैं
उन आशिक़ो का सदक़ा बुलवाईये मदीना !
उन आशिक़ो का सदक़ा बुलवाईये मदीना !
मेरे आक़ा मदीने बुला लीजिए
मेरे आक़ा मदीने बुला लीजिए
मदीने जाऊं फिर आऊं दुबारा फिर जाऊं
ये ज़िन्दगी मेरी यूं ही तमाम हो जाए
ये ज़िन्दगी मेरी यूं ही तमाम हो जाए
सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
ऐ आज़ीम-ए-मदीना, जाकर नबी से केहना
शोले हमें आलम से अब जल रहा है सीना
शोले हमें आलम से अब जल रहा है सीना
केहना की बढ़ रही है अब दिल की इज़्तिराबी
क़दमों से दूर हूं मैं क़िस्मत की है खराबी
क़दमों से दूर हूं मैं क़िस्मत की है खराबी
केहना के दिल में मेरे अरमां भरे हुए हैं
केहना के हसरतों के नश्तर चुभे हुए हैं
केहना के हसरतों के नश्तर चुभे हुए हैं
है आरज़ू ये दिल की मैं भी मदीना जाऊं
सुल्ताने दो जहाँ को दाग़े-ए-जिगर दिखाऊं
काटूं हज़ार चक्कर तैबा की हर गली के
यूं ही गुज़ार दूं अयाम ज़िन्दगी के
सुल्ताने दो जहाँ को दाग़े-ए-जिगर दिखाऊं
काटूं हज़ार चक्कर तैबा की हर गली के
यूं ही गुज़ार दूं अयाम ज़िन्दगी के
फूलों पे जां निसारुं कांटों पे दिल को वारू
ज़र्रो को दु सलामी दर की करूं ग़ुलामी
दीवार-ओ-दर को चूमूं, चौखट पे सर को रख दूं
रौज़े को देखकर मैं रोता रहूं बराबर
आलम के दिल में है ये हसरत न जाने कब से
हम सबके है दिल में हसरत न जाने कब से
मेरा भी क़िस्सा-ए-ग़म कहना शहे अरब से
सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
एक रोज़ होगा जाना सरकार ! की गली में
होगा वहीं ठिकाना सरकार की गली में
होगा वहीं ठिकाना सरकार की गली में
दिल में नबी की यादें लब्ब पर नबी की नातें
जाना तो ऐसे जाना सरकार की गली में
जाना तो ऐसे जाना सरकार की गली में
या मुस्तफ़ा ख़ुदारा, दो इज़्न हाज़िरी का
कर लूं नज़ारा आकर मैं आपकी गली का
कर लूं नज़ारा आकर मैं आपकी गली का
एक बार तो दिखा दो रमज़ान में मदीना
इस बार तो रमज़ान में मदीना
आक़ा हमें दिखा दो रमज़ान में मदीना
बेशक़ बना लो आक़ा मेहमान दो घड़ी का
इस बार तो रमज़ान में मदीना
आक़ा हमें दिखा दो रमज़ान में मदीना
बेशक़ बना लो आक़ा मेहमान दो घड़ी का
नसीब वालों में मेरा भी नाम हो जाए
जो ज़िन्दगी की मदीने में शाम हो जाए
जो ज़िन्दगी की मदीने में शाम हो जाए
सहारा चाहिए सरकार ज़िन्दगी के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
तड़प रहा हूं मदीने की हाज़री के लिए
बुला लो ना
बुला लो ना..
बुला लो ना..
नात-ख़्वाँ:-
हाफिज ताहिर क़ादरी
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Mere aaqa madine bula lijiye
Mere aaqa madine bula lijiye
sahara chahiye sarkar zindagi ke liye
tadap raha hu madine ki hazri ke liye
tayba ke jaane wale ja kar bade adab se
mera bhi kisa-e-gam kehna sahe arab se
kehna ke saahe aalam ek ranjo gam ka maara
dono jaha main jiska hai aap hi sahara
halat-e-pur alam se is dam guzur rahe hai
aur kapte labo se fariyaad kr rahe hai
paaye gunnah apna hai dos pr uthaye
koi nhi hai aesa jo puchne ko aaye
bhula hua musafir manjil ko dhundta hai
taarikyan main maah-e-kaamil ko dhundta hai
sine main hai adhera dil hai siyaah khana
yeh hai meri kahani sarkar ko sunana
kehna mere nabi se mahrum hu khushi se
kehna mere nabi se mahrum hu khushi se
sarwar qabar-e-gam hai, ashko se aankh nam hai
Pamaal-E-Zingadi hu sarkar ummati hu !
Ummat ke Rehnuma ho, Kuch arz-E_Haal sun lo
fariyaad kr raha hu main, Dil Figar kb se
mera bhi Kisa-E-Gamm Kehna sahe arab se
huzur Aesa Koi Intizam Ho jaaye
Salam Ke liye hazir gulam ho jaaye
Sahara chahiye Sarkar Zindagi Ke liye
Tadap raha hu madine ke hajri ke liye
Mera Dil tadap raha hai mera jal raha hai sina
ke dawa wahi milegi muje le chlo madina !
Nahi Maalo-E-zar to kya hai main garib hu tu kya hai
tere ishq main mujko le chal tu hu janibe madina
aaqa n tut jaaye yeh dil ka aabgina
ab ke barsh bhi moula reh jaau main kahi na
dil ro raha hai jinka aanshu chhalak rahe hai
un aashiqo ka sadqa bulwayiye madina !
mere aaqa madine bula lijiye
mere aaqa madine bula lijiye
aaqa madine jaau fir aau dubara fir jaau
yeh zindagi meri yuhi tamam ho jaaye
sahara chahiye sarkar zindagi ke liye
tadap raha hu madine ki hazri ke liye
Ae azeem-E-madina, jakar nabi se kehna
sole hame aalam se ab jal raha hai sina
kehna ki badh rahi hai ab dil ki ijtirabi
kadmo se dur hu main kismat ki hai khrabi
kehna ke dil main mere arma bhre hui hai
kehna ke hasrto ke nastar chubhe hui hai
hai aarzoo yeh dil ki main bhi madina jaau
sultan-E-do jahaa ko dag-E-jigar dikhau
kaatu hazar chakkar tayyba ki har gali ke
yuhi guzar du ayaam zindagi ke
phulo pe jaa nisharu kaato pe dil ko waaru
jarro ko du salami dar ki karu gulami
diwar-E-dar ko chumu, chokhat pe sar ko rakh du
roze ko dekhkar main rota rahu brabar
aalam ke dil main hai yeh hasrat n jaane kab se
hum sabke hai dil main hasrat n jaane kab se
mera bhi kissa-E-gamm kehna saahe arab se
sahaara chahiye sarkar zindagi ke liye
tadap raha hu madine ki hazri ke liye
ek roz hoga jaana sarkar ! ki gali main
hoga wahi thikana sarkar ki gali main
dil main nabi ki yaade labb par nabi ki naate
jaana to aese jaana sarkar ki gali main
ek baar to dikha do ramzaan main madina
is baar to ramzaan main madina
aaqa hame dikha do ramzaan main madina
beshak bna lo aaqa mehman do gadi ka
naseeb walo main mera bhi naam ho jaaye
jo zinagi ki madine main shaam ho jaaye
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