Me Madine Chala Naat Lyrics / मैं मदिनें चला, मैं मदिनें चला,

मैं मदिनें चला, मैं मदिनें चला,
फिर करम हो गया, मैं मदिनें चला।

मेरे आका का दर होगा पेश-ए-नज़र,
चाहिए और क्या, मैं मदिनें चला।

कैफ से छा गया, मैं मदिनें चला,
झूमता-झूमता, मैं मदिनें चला।

मेरे गंदे कदम और उनका हराम,
लाज रखना खुदा, मैं मदिनें चला।

गुम्बद-ए-ज़र्द पर जब पड़ेगी नज़र,
क्या सुरूर आएगा, मैं मदिनें चला।

ज़र्द गुम्बद का नूर जंग कर देगा दूर,
पाएगा दिल जला, मैं मदिनें चला।

आँसू थमते नहीं, पैर जमते नहीं,
लहराता हुआ, मैं मदिनें चला।

मेरे सिद्दीक़ उमर हो सलाम आप पर,
और रहमत सदा, मैं मदिनें चला।

वो उहुद की ज़मीन जिसमें अंजाम,
मेरे हमज़ा पिया, मैं मदिनें चला।

उनका ग़म चश्म-ए-तर और सोज़-ए-जिगर,
अब तो दै दै खुदा, मैं मदिनें चला।

साकिया, मुझे पिला, मैं मदिनें चला,
मस्त-ओ-बेहोश बना, मैं मदिनें चला।

ऐ शजर, ए हजार, तुम भी शम्स-ओ-क़मर,
देखो, देखो, जरा, मैं मदिनें चला।

देख तारे मुझे, ये नज़ारे मुझे,
तुम भी देखो, जरा, मैं मदिनें चला।

रूह-ए-मुज़्तर ठहर, तू निकलना उधर,
इतनी जल्दी भी क्या, मैं मदिनें चला।

हाथ उठते रहें, मुझको देते रहें,
वो तालब से सिवा, मैं मदिनें चला।

नूर-ए-हक के हुज़ूर, अपने सारे कसूर,
बख्शवाने चला, मैं मदिनें चला।

वो बैकी की ज़मीन जिसमें मक़ीन,
मेरे मदनी ज़िया, मैं मदिनें चला।

मिनबर-ए-नूर पर जब उठेगी नज़र,
क्या सरूर आएगा, मैं मदिनें चला।

उनके मीनार पर जब पड़ेगी नज़र,
क्या सरूर आएगा, मैं मदिनें चला।

दर्द-ए-उल्फ़त मिले, ज़ौक बढ़ने लगे,
जब चले काफ़िला, मैं मदिनें चला।

क्या करेगा इधर, बांध रखते सफ़र,
चल ओबेद-ए-रज़ा, मैं मदिनें चला।

मैं तो बस यूँ ही था, मैं की औकात क्या,
काफ़िला ये मिला, मैं मदिनें चला।

क्या ये तूने कहा, ऐ ओबेद-ए-रज़ा,
सोच तो कुछ जरा, मैं मदिनें चला।

लुत्फ़ तो जब मिले, मुझसे मुरशिद कहें,
चल ओबेद-ए-रज़ा, मैं मदिनें चला।


नात ख़्वाँ:-
ओवैश रज़ा क़ादरी

Roman (Eng) :

Main Madinay chala, main Madinay chala,
Phir karam ho gaya, main Madinay chala.

Mere Aaqa ka dar hoga paish-e-nazar,
Chahiye aur kya, main Madinay chala.

Kaif se chha gaya, main Madinay chala,
Jhoomta jhoomta, main Madinay chala.

Mere gande qadam aur unka haram,
Laj rakhna Khuda, main Madinay chala.

Gumbad-e-zard par jab padegi nazar,
Kya suroor aayega, main Madinay chala.

Zard gumbad ka noor jang kar dega dur,
Paye ga dil jala, main Madinay chala.

Aansoo thamtay nahi, paon jamtay nahi,
Lahrata hua, main Madinay chala.

Mere Siddique Umar ho salam aap par,
Aur rehmat sada, main Madinay chala.

Woh Uhud ki zameen jis mein anjaam,
Mere Hamza piya, main Madinay chala.

Unka gham chashm-e-tar aur soz-e-jigar,
Ab tou dai dai Khuda, main Madinay chala.

Saqiya, mujhe pila, main Madinay chala,
Mast-o-bekhud bana, main Madinay chala.

Ae shajar, ae hazar, tum bhi shams-o-qamar,
Dekho, dekho, zara, main Madinay chala.

Deikh tare mujhe, yeh nazare mujhe,
Tum bhi dekho, zara, main Madinay chala.

Rooh-e-muztar thehr, tu nikalna udhar,
Itni jaldi bhi kya, main Madinay chala.

Hath uth'tay rahain, mujhko dete rahain,
Woh talab se siwa, main Madinay chala.

Noor-e-haq ke Hazoor, apne sare kasoor,
Bakhswanay chala, main Madinay chala.

Woh Baqi ki zameen jis mein makeen,
Mere Madani Zia, main Madinay chala.

Un ke minaar par jab padegi nazar,
Kya saroor aayega, main Madinay chala.

Minbar-e-noor par jab uthegi nazar,
Kya saroor aayega, main Madinay chala.

Dard-e-ulfat mile, zauk barhne lage,
Jab chale qafila, main Madinay chala.

Kya karega idhar, bandh rakhte safar,
Chal Obaid-e-Raza, main Madinay chala.

Kya yeh tu ne kaha, ae Obaid-e-Raza,
Soch tou kuch zara, main Madinay chala.

Main tou bas yun hi tha, main ki aukaat kya,
Qafila yeh mila, main Madinay chala.

Lutf tou jab mile, mujhse murshid kahain,
Chal Obaid-e-Raza, main Madinay chala.


Naat Khwaan:
Owesh Raza Qadri



Post a Comment

0 Comments